एक खुली चर्चा में विराट कोहली और गौतम गंभीर ने अपने क्रिकेट करियर के कुछ यादगार लम्हों को साझा किया। गंभीर ने 2009 में न्यूजीलैंड के खिलाफ नापियर टेस्ट में अपने अद्भुत प्रदर्शन के बारे में बताया, जिसमें उन्होंने 137 रन बनाए, जबकि उन्होंने “हनुमान चालीसा” का जाप किया। वहीं, कोहली ने 2014 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी शानदार बल्लेबाजी का श्रेय “ओम नमः शिवाय” के जाप को दिया। दोनों खिलाड़ियों ने बताया कि कैसे आध्यात्मिकता ने उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाया और कठिन परिस्थितियों में उभरने में मदद की। यह चर्चा उनकी दोस्ती को फिर से जीवित करने और क्रिकेट के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती है।
भारत के पूर्व क्रिकेटर विराट कोहली और गौतम गंभीर के बीच एक खुली चर्चा हुई, जिसमें उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट मैच से पहले अपने पुराने दिनों को याद किया। IPL के कई सीज़नों में उनके बीच काफी बहस हुई थी, लेकिन इस चर्चा ने उन सभी अफवाहों को खत्म कर दिया। उन्होंने अपने टेस्ट क्रिकेट के अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे कठिन समय में उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया।
गौतम गंभीर का नापियर टेस्ट: हनुमान चालीसा का प्रभाव
गौतम गंभीर का 2009 में नापियर टेस्ट में शतक उनकी दृढ़ता और संघर्ष का प्रतीक है। जब न्यूजीलैंड ने पहले पारी में बड़ा स्कोर बनाया, तो गंभीर ने टीम को मुश्किल से बाहर निकालने का काम किया। उन्होंने लगभग दो-दिन और आधे दिन तक बल्लेबाजी की, 436 गेंदों का सामना करते हुए 137 रन बनाए।
गंभीर ने कहा, “मैं सोचता हूं कि क्या मैं फिर से दो-दिन और आधे दिन तक बल्लेबाजी कर सकता हूं? मुझे नहीं लगता। लेकिन मैंने केवल हनुमान चालीसा सुनी।” उन्होंने बताया कि कैसे वह अपने खेल में ध्यान केंद्रित करके पूरी तरह से अपने जोन में चले गए।
कोहली का ‘ॐ नमः शिवाय’ से ऑस्ट्रेलियाई डॉमिनेंस
वहीं, विराट कोहली की 2014 की ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट श्रृंखला में शानदार प्रदर्शन ने दिखाया कि कैसे आध्यात्मिकता खेल में मदद कर सकती है। कोहली ने उस श्रृंखला में 692 रन बनाए, जिसमें चार शतक शामिल थे। उन्होंने बताया कि हर गेंद से पहले ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करने से उन्हें सफलता मिली।
गंभीर ने इस बारे में याद करते हुए कहा, “जब तुमने ऑस्ट्रेलिया में इतनी रन बनाए, तो तुमने बताया था कि तुम हर गेंद से पहले ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप कर रहे थे। मेरे लिए, नापियर में खेलते समय भी यही था।”
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1. विराट और गंभीर की पवित्रता का खेल पर क्या प्रभाव पड़ा?
विराट और गंभीर ने अपनी पवित्रता से मानसिक स्थिरता पाई, जिससे वे बड़े मैचों में अच्छा प्रदर्शन कर सके।
2. क्या ध्यान करने से उनकी खेल क्षमता में सुधार हुआ?
हाँ, ध्यान करने से उन्होंने अपनी एकाग्रता बढ़ाई और खेल के दौरान तनाव को कम किया।
3. क्या आध्यात्मिकता से उनकी टीम भावना मजबूत हुई?
जी हाँ, आध्यात्मिकता ने उन्हें एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सहयोग का भाव विकसित करने में मदद की।
4. विराट और गंभीर ने किस प्रकार की आध्यात्मिक प्रथाएँ अपनाई?
उन्होंने ध्यान, योग और सकारात्मक सोच जैसी प्रथाएँ अपनाई, जो खेल में उनके मानसिक दृष्टिकोण को मजबूत करती हैं।
5. क्या आध्यात्मिकता ने उनके खेल के प्रति दृष्टिकोण को बदला?
बिल्कुल, आध्यात्मिकता ने उन्हें खेल को एक साधना के रूप में देखने में मदद की, जिससे वे दबाव में भी शांत रह सके।